Thursday, July 24, 2014

आज के अखबार में पढ़ा कि अब खुलेंगे आइडियाज़ बैंक !


आज के अखबार में पढ़ा कि अब खुलेंगे आइडियाज़ बैंक !

तो अब तक इस देश के आविष्कारकों ने जो आइडियाज़ साइंस एंड टेक्नॉलोजी या DST अन्य संस्थाओं को दिए – और जो स्वीक्रत भी किये गए TKDL नंबर भी दिया गया , महामहिम रास्ट्रपति जिसे देखने फोटो खिचवाने आये – 10-20-25 हज़ार के चेक के साथ अजीब सी ट्रोफी भी दी गयी !
पर पिछले 10 से 15 सालों में बस ये ही हूआ – और बार बार हूआ सब अपनी अपनी दूकान चलाने से ज्यादा और कुछ भी नहिं कर रहे – और इन दूकानदारों कि PMO और बहुत से बूय्रोक्रेट्स तक चलती है – और इस देश में जिसकी चलती है उसके कंहा पर मोमबत्ती जलती है सब जानते हैं – पेज 3 फिल्म का धासू डायलोग, और सुना था कि सेम पित्रोदा साहेब को करोडो रूपये दिए गए हैं – 2010 से 2020 इन्नोवेशन डेकेड मनाया जा रहा है भाई ! सन 2000 से लगा हूँ दो दर्जन से ज्यादा आविष्कार स्वीक्रत हो चुके हैं – 4 ग्रांटेड पेटेंट कि बत्ती बना के रखी है !

और अब आज फिर से इक ताज़ी हवा का झोंका – कि आज के अखबार में पढ़ा कि अब खुलेंगे आइडियाज़ बैंक !

हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले..........
 
 
 
 
 

शेरवानी ओ सेहरा ढोते रहे इक लंबी उम्र तक,

जब उतारा पैरहन न् जाने कितने कफ़न निकले,

न् जाने कितने वाहियात खुदी में दमन निकले,

सापों की बिलों के पास ही दरख्ते चन्दन निकले,

हमारी उम्र भी कई कई प्रकास वर्ष है मियां,

ये तो यूँही कुछ जनम आवागमन में निकले,

अगस्त्य

24/07/2014

Monday, April 21, 2014

Now Nif India and Shrishti Innovations using childrens for there Bad and non ethikal Works !


ये NIF www.nifindia.org  और श्रष्टि वाले जो नए चहेरे ढूडने की कोशिश कर रहे हैं और अपनी इस कपटी मानसिकता में स्कूल के बच्चों को भी शामिल कर लिया है – ये नए लोगो को ढूँढ कर – उनसे उनका बहुमूल्य पारंपरिक ज्ञान व् अविष्कार की समस्त जानकारी ले कर अपनी लिस्ट बढाने और सरकारी दान पाने के अलावा फिर उस चेहरे को इतना गहरे गर्त में छुपा देते हैं की वो ज़िंदा तो रहता है पर उसकी आती – जाती हर साँस उसके स्वयं के विवेक को कोसती रहती है – इनसे आस लगाये हर सक्स की मंशा निराशावादी और आत्मघाती हो जाती है – न् जाने कितने तो मर लिए उम्मीद में ! फिर वो चाहे बिहार के सईदोल्लाह की तरह बीबीसी को रोये या अपनी किस्मत को – निफ और श्रस्टी वाले अपनी पूरी ताकत इस बात में लगाते हैं की केसे उनकी संस्था या संस्थाएं तरक्की करें न् की इनोवेटर या फिर कोई अन्य – पिछले लगभग 14 सालों में मेरा  [ अगस्त्य नारायण शुक्ल का  ] निजी अनुभव तो यही रहा है !
और इस सब ये आईआईएम अहमदाबाद व् साइंस एवम टेक्नोलोजी की पूरी मदद लेते हैं माशेलकर साहेब की ओट में प्रोफ़ेसर अपना ही राग अलापते हैं – ये सब लोग तो लायक भी नहिं हैं तथाकथित ग्रास्रूट्स लेवल की सहायता करने में अथवा उनकी मानसिकता समझने में !

अंत में बस इतना की हर शाख पे उल्लू बैठे हैं , अंजामे गुलिस्तां क्या होगा ?

अगस्त्य   

इंसान अपनी ही बनायी कहावत की तरह संसार का जला हूआ परमात्मा को भी फूंक फूंक कर पीने की कोशिश करता है !

अगस्त्य

" The Problems That Exist in The World Today Can Not Be Solved By The
   Level of Thinking That Created Them "

"ALBERT EINSTEIN"