Saturday, May 23, 2015

Terrorist are solvable problem !

Terrorist are solvable problem, Yes ! With innovative thinking & some innovative ideas !
is any buddy's Listing on the globe ?

Experienced Ignorant !

Sunday, March 22, 2015

Let us see how Google Translate ?

" The Problems That Exist in The World Today Can Not Be Solved By The Level of Thinking That Created Them "

"ALBERT EINSTEIN"

"आज दुनिया में मौजूद समस्या है कि उन्हें बनाया सोच रही है कि के स्तर से हल नहीं किया जा सकता है"

"अल्बर्ट आइंस्टीन"

Thursday, July 24, 2014

आज के अखबार में पढ़ा कि अब खुलेंगे आइडियाज़ बैंक !


आज के अखबार में पढ़ा कि अब खुलेंगे आइडियाज़ बैंक !

तो अब तक इस देश के आविष्कारकों ने जो आइडियाज़ साइंस एंड टेक्नॉलोजी या DST अन्य संस्थाओं को दिए – और जो स्वीक्रत भी किये गए TKDL नंबर भी दिया गया , महामहिम रास्ट्रपति जिसे देखने फोटो खिचवाने आये – 10-20-25 हज़ार के चेक के साथ अजीब सी ट्रोफी भी दी गयी !
पर पिछले 10 से 15 सालों में बस ये ही हूआ – और बार बार हूआ सब अपनी अपनी दूकान चलाने से ज्यादा और कुछ भी नहिं कर रहे – और इन दूकानदारों कि PMO और बहुत से बूय्रोक्रेट्स तक चलती है – और इस देश में जिसकी चलती है उसके कंहा पर मोमबत्ती जलती है सब जानते हैं – पेज 3 फिल्म का धासू डायलोग, और सुना था कि सेम पित्रोदा साहेब को करोडो रूपये दिए गए हैं – 2010 से 2020 इन्नोवेशन डेकेड मनाया जा रहा है भाई ! सन 2000 से लगा हूँ दो दर्जन से ज्यादा आविष्कार स्वीक्रत हो चुके हैं – 4 ग्रांटेड पेटेंट कि बत्ती बना के रखी है !

और अब आज फिर से इक ताज़ी हवा का झोंका – कि आज के अखबार में पढ़ा कि अब खुलेंगे आइडियाज़ बैंक !

हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले..........
 
 
 
 
 

शेरवानी ओ सेहरा ढोते रहे इक लंबी उम्र तक,

जब उतारा पैरहन न् जाने कितने कफ़न निकले,

न् जाने कितने वाहियात खुदी में दमन निकले,

सापों की बिलों के पास ही दरख्ते चन्दन निकले,

हमारी उम्र भी कई कई प्रकास वर्ष है मियां,

ये तो यूँही कुछ जनम आवागमन में निकले,

अगस्त्य

24/07/2014

Monday, April 21, 2014

Now Nif India and Shrishti Innovations using childrens for there Bad and non ethikal Works !


ये NIF www.nifindia.org  और श्रष्टि वाले जो नए चहेरे ढूडने की कोशिश कर रहे हैं और अपनी इस कपटी मानसिकता में स्कूल के बच्चों को भी शामिल कर लिया है – ये नए लोगो को ढूँढ कर – उनसे उनका बहुमूल्य पारंपरिक ज्ञान व् अविष्कार की समस्त जानकारी ले कर अपनी लिस्ट बढाने और सरकारी दान पाने के अलावा फिर उस चेहरे को इतना गहरे गर्त में छुपा देते हैं की वो ज़िंदा तो रहता है पर उसकी आती – जाती हर साँस उसके स्वयं के विवेक को कोसती रहती है – इनसे आस लगाये हर सक्स की मंशा निराशावादी और आत्मघाती हो जाती है – न् जाने कितने तो मर लिए उम्मीद में ! फिर वो चाहे बिहार के सईदोल्लाह की तरह बीबीसी को रोये या अपनी किस्मत को – निफ और श्रस्टी वाले अपनी पूरी ताकत इस बात में लगाते हैं की केसे उनकी संस्था या संस्थाएं तरक्की करें न् की इनोवेटर या फिर कोई अन्य – पिछले लगभग 14 सालों में मेरा  [ अगस्त्य नारायण शुक्ल का  ] निजी अनुभव तो यही रहा है !
और इस सब ये आईआईएम अहमदाबाद व् साइंस एवम टेक्नोलोजी की पूरी मदद लेते हैं माशेलकर साहेब की ओट में प्रोफ़ेसर अपना ही राग अलापते हैं – ये सब लोग तो लायक भी नहिं हैं तथाकथित ग्रास्रूट्स लेवल की सहायता करने में अथवा उनकी मानसिकता समझने में !

अंत में बस इतना की हर शाख पे उल्लू बैठे हैं , अंजामे गुलिस्तां क्या होगा ?

अगस्त्य   

इंसान अपनी ही बनायी कहावत की तरह संसार का जला हूआ परमात्मा को भी फूंक फूंक कर पीने की कोशिश करता है !

अगस्त्य

" The Problems That Exist in The World Today Can Not Be Solved By The
   Level of Thinking That Created Them "

"ALBERT EINSTEIN"

Friday, October 11, 2013

HOW THE SUN AND STARS ARE BURNING WITHOUT OXYGEN IN THE UNIVERSE ?


ये मस्तिष्क क्या खुराफाती चीज़ है यारो – एक नया प्रश्न अवतरित हू़आ है – विज्ञान कहता है की बिना ऑक्सीज़न के कुछ भी जल नहीं सकता, और साथ ही ये भी कहता है इस वायुमंडल के बाहर अंतरिक्ष में ये तथा कथित ऑक्सीज़न मोजूद नहीं है !

तो फिर यारों ये सूर्य और तारे और अन्य उल्कापिंड जेसी तमाम चीजें इतने लंबे अरसे से लगातार केसे जले जा रही हैं ?
HOW THE SUN AND STARS ARE BURNING WITHOUT OXYGEN IN THE UNIVERSE ?

किसी सज्जन के पास जवाब हों तो क्रपया मेरी अज्ञानता को दूर करने में मेरी मदद करें !

अगस्त्य
11/10/13

Saturday, August 3, 2013

खून में प्लेटलेट्स किस तरह बढ़ाएँ ?




 

 

                                             खून में प्लेटलेट्स किस तरह बढ़ाएँ ?
 
 

 

कई तरह के रोगों में खून में प्लेटलेट्स बहुत तेज़ी से कम होने लगती है , और इसी लिए कई बार मरीज़ की मौत भी हों जाती है !

मैं बहुत ज़्यादा तो नहीं जानता पर मेरी खुद की आजमाई हूई तरकीब बता रहा हूँ -: गिलोय की बेल को जो की मोटाई में ½ इंच के आस पास हों का लगभग 1 फीट टुकड़ा लेकर उसे छोटे छोटे टुकडों में काट कर साफ़ पानी से धो कर – लगभग 1/2 लीटर पानी में दस मिनट तक उबालें [ स्वाद के लिए उबालते वक्त चीनी मिला सकते हैं ] और पूरी रात उस बर्तन को ढंककर रखें, सुबह उसमे और 1/2 लीटर सादा पानी मिला कर इक कांच की बोतल में भर कर रख लें !

मरीज़ को 100 मिलीलीटर इस घोल के साथ 1 चमच्च ओ आर एस [ ORS ] का पाऊडर और 1 चमच्च ग्लूकोस और 100 से 150 मिलीलीटर साफ़ पानी मिला कर मरीज़ को दिन में कम से कम तीन बार दें !

इसी में अगर पपीते का 1 पत्ता भी इसी प्रकार तयार कर साथ में दें तो और भी फायदे की उम्मीद हों सकती है ! इसमें अन्य जानकारियाँ इस प्रकार हैं -: गिलोय एक ऐसी लता है जो भारत में सवर्त्र पैदा होती है। नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय औषधि के रूप में प्राप्त करने में बेहद प्रभाव शाली है। अमृत तुल्य उपयोगी होने के कारण इसे आयुर्वेदमें अमृता नाम दिया गया है। ऊंगली जैसी मोटी धूसर रंग की अत्यधिक पुरानी लता औषधि के रूप में प्रयोग होती है।

गिलोय का वैज्ञानिक नाम 'टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया' (Tinospora cordifolia) है। इसे अंग्रेज़ी में गुलंच कहते हैं। कन्नड़ में अमरदवल्ली, गुजराती में गालो, मराठी में गुलबेल, तेलुगू में गोधुची, तिप्प्तिगा, फारसी में गिलाई, तमिल में शिन्दिल्कोदी आदि नामों से जाना जाता है। गिलोय में ग्लुकोसाइन, गिलो इन, गिलोइनिन, गिलोस्तेराल तथा बर्बेरिन नामक एल्केलाइड पाये जाते हैं। गिलोय को अमृता, गड़ूची, मधुपर्जी आदि अनेक नामों से भी जाना जाता है। कुछ तीखे कड़वे स्वाद वाली गिलोय देशभर में पायी जाती है। आयुर्वेद में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। गिलोय को वात दोष हरने वाली श्रेष्ठ औषधि माना है। वैसे इसका त्रिदोष हरने वाली, रक्तशोधक, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली, ज्वर नाशक, खांसी मिटाने वाली प्राकृतिक औषधि के रूप में खूब उपयोग किया जाता है। टाइफायड, मलेरिया, कालाजार, डेंगू, एलीफेंटिएसिस, विषम ज्वर, उल्टी, बेहोशी, कफ, पीलिया, धाते विकार, यकृत निष्क्रियता, तिल्ली बढ़ना, सिफलिस, एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार, झाइयां, झुर्रियां, कुष्ठ आदि में गिलोय का सेवन आश्चर्यजनक परिणाम देता है। यह शरीर में इंसुलिन उत्पादन क्षमता बढ़ाती है। रोगों से लड़ने, उन्हें मिटाने और रोगी में शक्ति के संचरण में यह अपनी विशिष्ट भूमिका निभाती है। सचमुच यह प्राकृतिक कुनैनहै। इसका नियमित प्रयोग सभी प्रकार के बुखार, फ्लू, पेट कृमि, रक्त विकार, निम्न रक्तचाप, हृदय दौर्बल्य, क्षय (टीबी), मूत्र रोग, एलर्जी, उदर रोग,मधुमेह, चर्म रोग आदि अनेक व्याधियों से बचाता है। गिलोय भूख भी बढ़ाती है। इसकी तासीर गर्म होती है। एक बार में गिलोय की लगभग 20 ग्राम मात्रा ली जा सकती है। इसके सेवन के बारे में किसी योग्य व्यक्ति या वैद्य या किसी अच्छी पुस्तक से जानकारी ली जा सकती है। इसे आवश्यकतानुसार अकेले या अन्य औषधियों के साथ दिया जाता है। अनेक रोगों में इसे पशुओं के रोगों में भी दिया जाता है !  गिलोय हमारे यहां लगभग सभी जगह पायी जाती है। गिलोय को अमृता भी कहा जाता है .यह स्वयं भी नहीं मरती है और उसे भी मरने से बचाती है , जो इसका प्रयोग करे . कहा जाता है की देव दानवों के युद्ध में अमृत कलश की बूँदें जहाँ जहाँ पडी , वहां वहां गिलोय उग गई . यह मैदानों, सड़कों के किनारे, जंगल, पार्क, बाग-बगीचों, पेड़ों-झाड़ियों और दीवारों पर लिपटी हुई दिख जाती है। इसकी बेल बड़ी तेजी से बढ़ती है। इसके पत्ते पान की तरह बड़े आकार के हरे रंग के होते हैं। गर्मी के मौसम में आने वाले इसके फूल छोटे गुच्छों में होते हैं और इसके फल मटर जैसे अण्डाकार, चिकने गुच्छों में लगते हैं जो बाद में पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। गिलोय के बीज सफेद रेग के होते हैं। जमीन या गमले में इसकी बेल का एक छोटा सा टुकड़ा लगाने पर भी यह उग जाती है और बड़ी तेज गति से स्वछन्द रूप से बढ़ती जाती है और जल्दी ही बहुत लम्बी हो जाती है।
गिलोय को अमृता, गड़ूची, मधुपर्जी आदि अनेक नामों से भी जाना जाता है। कुछ तीखे कड़वे स्वाद वाली गिलोय देशभर में पायी जाती है। आयुर्वेद में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। आचार्य चरक ने गिलोय को वात दोष हरने वाली श्रेष्ठ औषधि माना है। वैसे इसका त्रिदोष हरने वाली, रक्तशोधक, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली, ज्वर नाशक, खांसी मिटाने वाली प्राकृतिक औषधि के रूप में खूब उपयोग किया जाता है। यहएक झाडीदार लता है। इसकी बेल की मोटाई एक अंगुली के बराबर होती है इसी को सुखाकर चूर्ण के रूप में दवा के तौर पर प्रयोग करते हैं। टाइफायड, मलेरिया, कालाजार, डेंगू, एलीफेंटिएसिस, विषम ज्वर, उल्टी, बेहोशी, कफ, पीलिया, धातु  विकार, यकृत निष्क्रियता, तिल्ली बढ़ना, सिफलिस, एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार, झाइयां, झुर्रियां, कुष्ठ आदि में गिलोय का सेवन आश्चर्यजनक परिणाम देता है। यह शरीर में इंसुलिन उत्पादन क्षमता बढ़ाती है। रोगों से लड़ने, उन्हें मिटाने और रोगी में शक्ति के संचरण में यह अपनी विशिष्ट भूमिका निभाती है।

 

 

Thursday, August 2, 2012

The “Gangs of Vasepur” and The other Gangs of India or other Gangs on Globe like CBI or FBI or KGB!

The “Gangs of Vasepur” and The other Gangs of India or other Gangs on Globe like CBI or FBI or KGB!


Did you saw the movie “The Gangs of Vasepur” ? If we forgive Mr. Anurag for some littlie mistakes , than the movie is very good – I give 4 star of 5.
Now the other side of coin –The other Gangs of India! Like political parties , Congress Party of India or BJP or SP or BSP Etc.  NGO`S, and the inventors of India – sorry – poor inventors of India and rich NGO`S for help them but not able to help. Even Prof. Anil Gupta of IIMA with NATIONAL INNOVATION FOUNDATION OF INDIA or Sam Pitroda of planning commission of India or Dr. A.P.J. Kalam Sahib – Anna Hazare and Party - all are just not able to help poor inventors of India, THE FUNDAMENTEL PEOPLES OF INDIA – WHO ARE ABLE TO SOLV THE MAXIMAM PROBLEMS OF EARTH- GLOBE, and I know well because I am also a poor innovator of India! All are include -- the poor inventors of India are also a different kind of “The other Gangs of India”!
And now the third side of coin – वो कहावत तो आपने सूनी ही होगी की चित भी अपनी पट भी अपनी और खड़ा सिक्का अपने बाप का ! Mr. Anna Hazare also want that, the all side of coin.
Why they are not able? And the answer is very simple – that they just don’t want. Policies they make – not workable , Law they make – not effective – and efforts they don’t do. And as the movie “The Gangs of Vasepur” said - they all are flying with one hand and the other hand is still busy for there so called reputations. The very conmen and natural thing is that every buddy think for his or her own self – and it is good also, but neglecting of innovators is like you are neglecting your own mother – father. And this is not happening only in India – all over the globe it is continuously happening from Write Brothers, Addison, James Watt and Albert Einstein to till today.
But no buddy listing - and just look to CBI or FBI or KGB – the al-Qaida or lashkre teybaa or Hizbul Mujahidin are more impressive and innovative too, and I am still thinking that – are they realy terrist ? ------ or “BAAGI” ----- as movie “Paan Singh Tomer” said, even the so called MAOVAADI`S are just “BAAGI”, and stupidly our Home Ministry of India thinks the Gun and Bullets are the best solution,
If Governments of all the Globe, NGO`S, DST and Mr. Anna Hazaare or Prof. Anil Gupta from IIMA with NATIONAL INNOVATION FOUNDATION OF INDIA or Mr. Sam Pitroda type men’s are not interested then what can I do ?

I always mention this line - " The Problems That Exist in The World Today Can Not Be Solved By The
   Level of Thinking That Created Them "
"ALBERT EINSTEIN"
Agastya Narain Shukla